सरयू तट पे राज अयोध्या राजा दशरथ तीन थी रानी पर संतान का सुख ना पाया आँख से बहता निशिदिन पानी करने को रघुवंश मे वृद्धि यज्ञ बड़ा किया पुत्र कामेष्ठी भये चार सुत जूं मिले चारों धाम शत्रुघ्न, भरत, लक्ष्मण और राम राम सिया राम सिया राम सिया राम राम सिया की कथा का ये गान राम सिया राम सिया राम सिया राम राम सिया की कथा का ये गान राम सिया राम सिया राम सिया राम राम सिया की कथा का ये गान अग्रज राम के संग सब भए शास्त्र शस्त्र गुरु वशिष्ठ सिखाए धर्म के काजे राम लखन फिर विश्वामित्र संग लीन विदाई अस्त्र शस्त्र सब विद्या सहेजी तारका, सुबाहु लोकया को भेजे करुणा से ना बड़ा कोई बाण छूकर किया माँ अहिल्या का तार राम सिया राम सिया राम सिया राम अति पावन सिया राम का गान राम सिया राम सिया राम सिया राम राम सिया राम सिया राम सिया राम मिथिला में शिव का धनुष भयंकर जिसे ना हिला सका कोई धुरंधर राम, लखन, गुरु मिथिला पहुंचे लक्ष्य था देखने सिया का स्वयंवर मिथिल सभा में विकट निराशा कौन बने हर तार सिया...